- Description
Our reincarnation after death is a predetermined fact until we choose to break the bondage. First we must become open to the possibilities of life outside our empirical understanding.
पुनर्जन्म पर प्रकाशित व्याख्याओं में सर्वोत्कृष्ट
जीवन जन्म से आरम्भ नहीं होता, न ही मृत्यु के साथ समाप्त होता है। व्यक्ति जब देह को छोड़ देता है, तब वास्तव में क्या होता है ? क्या वह दुसरे देह में प्रवेश करता है? क्या उसे सदैव पुनर्जन्म लेना पड़ता है? पुनर्जन्म वास्तविकता में किस प्रकार कार्य करता है? क्या हम अपने भावी जन्मों को नियन्त्रित कर सकते है ? ये प्रश्न सभी प्रश्नों में सर्वाधिक गूढ़ तथा रहस्यमय है। पुनरागमन, विश्व के सबसे प्रमाणिक तथा कालातीत ज्ञान स्त्रोतों से मृत्यु के बाद के जीवन का सुस्पष्ट तथा पूर्ण उत्तर देती है।
Additional Information | |||
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Title | Punaragman: Punar Janam ka Vigyan | Height | 198 mm |
Author | His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada | Width | 129 mm |
ISBN-13 | 9789382716945 | Binding | PAPERBACK |
ISBN-10 | 9382716947 | Spine Width | 110 mm |
Publisher | Harpercollins Publisher | Pages | 132 |
Edition | PUNARAGMAN: | Availability | In Stock |
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